Menu
blogid : 15002 postid : 11

बालापन से प्रौढ़ा बन …..

srijan
srijan
  • 7 Posts
  • 63 Comments

बालापन से प्रौढ़ा बन , एक ही सत्य को जाना मैनें ,
हम दुख देते केवल उनको,जिनको मानेंअपना प्रिय स्वजन |
बालापन से ……………………………………………………….
भभकना और क्रोध से जलना,क्षणिक पलों का तो होता है ,
अपने प्रिय से कटु संभाषण सुन,ह्रदय सदा ही तो रोता है |
बालापन से ………………………………………………………
तिरस्कार,और भृकुटी तानना,अपनों के लिए रख लेते हम,
नही जानते तनिक भी जिनको, उनको देते आदर सुंदरत्तम |
बालापन से ………………………………………………………
अल्प अवधि के अतिथि को ,खूब दिखाते हम अपनापन ,
हमारे हैं जोअति निकटतम,उनको सदा प्रताड़ित करते हम |
बालापन से ……………………………………………………….
अग्नि की ज्वाला में जल–जल, बन के ऋषि गौतम
अहिल्या सी सुकोमल नारी को ,पाषाण बनाते हम ।.

बालापन से प्रौढ़ा बन , एक ही सत्य को जाना मैनें ,
हम दुख देते केवल उनको,जिनको मानेंअपना प्रिय स्वजन |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply